अंपायर फैसला समीक्षा प्रणाली के खिलाफ नहीं : सचिन तेंदुलकर

बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि वह अंपायर फैसला समीक्षा प्रणाली के खिलाफ नहीं हैं.

उन्होंने कहाकि इसे अधिक कारगर बनाए जाने की जरूरत है.

सचिन ने कहा मैं डीआरएस के खिलाफ नहीं हूं लेकिन मुझे लगता है कि स्निकोमीटर और हाट स्पाट तकनीक के साथ यह ज्यादा कारगर होगा. इससे अधिक सटीक परिणाम सामने आएंगे.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) डीआरएस का धुर विरोधी रहा है और उसने इंग्लैंड के खिलाफ आगामी सीरीज में भी इसके इस्तेमाल का विरोध किया है.

सचिन और टीम इंडिया के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी भी रेफरल सिस्टम के पक्षधर नहीं हैं और इन्हीं खिलाड़ियों के रूख को देखते हुए भारतीय बोर्ड ने भी इसका विरोध किया है.

सचिन ने कहा कि सभी उपलब्ध तकनीकों को मिलाने से परिणाम में शत-प्रतिशत सटीकता संभव होगी और यह डीआरएस का सबसे सही इस्तेमाल होगा.

डीआरएस के बारे में सचिन का बयान ऐसे वक्त आया है जबकि उनके ओपनिंग जोड़ीदार वीरेन्द्र सहवाग और मध्यक्रम के भरोसेमंद बल्लेबाज राहुल द्रविड रेफरल सिस्टम के इस्तेमाल की वकालत कर चुके हैं.

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने डीआरएस के इस्तेमाल को अनिवार्य करने की सिफारिश की है. इसके तहत खेल के हर प्रारूप में हरेक टीम एक पारी में दो बार अंपायर के फैसले के खिलाफ रेफरल मांग सकती है. लेकिन बीसीसीआई इस तकनीक के इस्तेमाल के खिलाफ है.

बोर्ड अध्यक्ष शशांक मनोहर ने कहा मैंने आईसीसी से कहा है कि हमें हाट स्पाट तकनीक से कोई समस्या नहीं है. हमारा विरोध बाल ट्रेकिंग को लेकर है.

भारतीय कप्तान धोनी ने विश्वकप के दौरान डीआरएस की आलोचना करते हुए इसे तकनीक और फैसला लेने की मानवीय क्षमता के बीच ‘घालमेल’ करार दिया था. लेकिन इसे लागू करने या न करने का फैसला बोर्ड के हाथ में है खिलाड़ियों के नहीं.

बीसीसीआई अधिकारियों का इस वर्ष के अंत में आस्ट्रेलिया जाने का कार्यक्रम था ताकि वे एशेज सीरीज के दौरान आधिकारिक प्रसारक चैनल नाइन द्वारा इस्तेमाल की जा रही ‘वर्चुअल आई तकनीक’ का अध्ययन कर सकें. लेकिन इस कार्यक्रम को फिलहाल रद्द कर दिया गया है.

मनोहर ने कहा कि ‘हाक आई’ तकनीक के बारे में चेन्नई में बीसीसीआई अधिकारियों के समक्ष जो प्रस्तुतीकरण दिया गया था उसकी सटीकता को लेकर बोर्ड अधिकारी निश्चित नहीं थे. विश्वकप के दौरान भी इस तकनीक को लेकर काफी हंगामा हुआ था.

बीसीसीआई के सचिव एन. श्रीनिवासन ने गत मार्च में आईसीसी को एक पत्र लिखकर रेफरल सिस्टम के बारे में अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि विश्वकप के दौरान इस तकनीक की पोल खुल गई है.

Posted by राजबीर सिंह at 11:21 am.
 

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