कनिमोझी: जजों ने सुनवाई से अपने को किया अलग
ताजा खबरें, देश-विदेश 11:13 am
डीएमके सांसद कनिमोझी की जमानत याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने शुक्रवार को अपने को अलग कर लिया.
इन न्यायाधीशों को सोमवार को कनिमोझी और कलैगनर टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करनी थी.
अब मामले की निगरानी कर रहे न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी सोमवार को न्यायाधीश बी एस चौहान के साथ इस मामले की विशेष सुनवाई करेंगे.
जानकार सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति ए के पटनायक ने इस मामले से अपने को अलग करने के निर्णय की सूचना प्रधान न्यायाधीश एस एच कपाड़िया को दी. इस सूचना के बाद न्यायमूर्ति कपाड़िया ने न्यायाधीश सिंघवी को शामिल कर एक अन्य पीठ का गठन किया.
इससे पूर्व शुक्रवार को दिन में केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेल में बंद आरोपी द्रमुक सांसद कनिमोझी और सह आरोपी कलैगनर टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार की जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि अगर उन्हें जमानत दी गयी तो वे सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
एजेन्सी ने कहा कि 2जी घोटाले में चूंकि जांच अपने शुरूआती दौर में है इसलिये शीर्ष अदालत के लिये अभी उन्हें जमानत देना सही नहीं होगा. सीबीआई की विशेष अदालत और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी ठोस सबूतों तथा अन्य तत्वों का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही उनकी जमानत याचिका नामंजूर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने गत 13 जून को सीबीआई से कनिमोझी और कुमार की जमानत याचिका पर जवाब देने के साथ ही यह भी बताने को कहा था कि द्रमुक के स्वामित्व वाले कलैगनर टीवी को 2जी घोटाले में कथित तौर पर दिये गये 200 करोड़ रूपये कहां गये.
न्यायमूर्ति बी एस चौहान और स्वतंत्र कुमार की पीठ ने भ्रष्टाचार को मानवाधिकार उल्लंघन का निकृष्टतम स्वरूप बताया और सीबीआई से यह जानकारी देने को कहा कि एक दूरसंचार संचालक को 13 लाइसेंस दिये जाने से और सीबीआई की विशेष अदालत में चली सुनवाई के कारण सरकारी खजाने को कितना नुकसान हुआ.
कनिमोझी और कुमार ने गत 10 जून को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी जमानत की अर्जी खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि उनके राजनीतिक संबन्ध बहुत मजबूत हैं और ऐसे में उनके गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
कनिमोझी और कुमार को 200 करोड़ रूपये की ऋण लेने का आरोपी बताते हुए सीबीआई के दूसरा आरोप पत्र दायर करने के बाद सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने गत 20 मई को कनिमोझी और कुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश दिये थे और तब से दोनों तिहाड़ जेल में बंद हैं.
कनिमोझी और कुमार दोनों की कलैगनर टीवी में 20-20 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कलैगनर टीवी में शेष 60 प्रतिशत हिस्सेदारी द्रमुक प्रमुख करूणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल की है जिन्हें आरोपियों की सूची से बाहर रखा गया है. कलैगनर टीवी प्राइवेट लिमिटेड ने कथित रूप से शाहिद बलवा द्वारा प्रवर्तित डीबी रियलटी के जरिये 200 करोड रूपये की ऋण प्राप्त की थी.
इन न्यायाधीशों को सोमवार को कनिमोझी और कलैगनर टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करनी थी.
अब मामले की निगरानी कर रहे न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी सोमवार को न्यायाधीश बी एस चौहान के साथ इस मामले की विशेष सुनवाई करेंगे.
जानकार सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति ए के पटनायक ने इस मामले से अपने को अलग करने के निर्णय की सूचना प्रधान न्यायाधीश एस एच कपाड़िया को दी. इस सूचना के बाद न्यायमूर्ति कपाड़िया ने न्यायाधीश सिंघवी को शामिल कर एक अन्य पीठ का गठन किया.
इससे पूर्व शुक्रवार को दिन में केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेल में बंद आरोपी द्रमुक सांसद कनिमोझी और सह आरोपी कलैगनर टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार की जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि अगर उन्हें जमानत दी गयी तो वे सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
एजेन्सी ने कहा कि 2जी घोटाले में चूंकि जांच अपने शुरूआती दौर में है इसलिये शीर्ष अदालत के लिये अभी उन्हें जमानत देना सही नहीं होगा. सीबीआई की विशेष अदालत और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी ठोस सबूतों तथा अन्य तत्वों का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही उनकी जमानत याचिका नामंजूर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने गत 13 जून को सीबीआई से कनिमोझी और कुमार की जमानत याचिका पर जवाब देने के साथ ही यह भी बताने को कहा था कि द्रमुक के स्वामित्व वाले कलैगनर टीवी को 2जी घोटाले में कथित तौर पर दिये गये 200 करोड़ रूपये कहां गये.
न्यायमूर्ति बी एस चौहान और स्वतंत्र कुमार की पीठ ने भ्रष्टाचार को मानवाधिकार उल्लंघन का निकृष्टतम स्वरूप बताया और सीबीआई से यह जानकारी देने को कहा कि एक दूरसंचार संचालक को 13 लाइसेंस दिये जाने से और सीबीआई की विशेष अदालत में चली सुनवाई के कारण सरकारी खजाने को कितना नुकसान हुआ.
कनिमोझी और कुमार ने गत 10 जून को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी जमानत की अर्जी खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि उनके राजनीतिक संबन्ध बहुत मजबूत हैं और ऐसे में उनके गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
कनिमोझी और कुमार को 200 करोड़ रूपये की ऋण लेने का आरोपी बताते हुए सीबीआई के दूसरा आरोप पत्र दायर करने के बाद सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने गत 20 मई को कनिमोझी और कुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश दिये थे और तब से दोनों तिहाड़ जेल में बंद हैं.
कनिमोझी और कुमार दोनों की कलैगनर टीवी में 20-20 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कलैगनर टीवी में शेष 60 प्रतिशत हिस्सेदारी द्रमुक प्रमुख करूणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल की है जिन्हें आरोपियों की सूची से बाहर रखा गया है. कलैगनर टीवी प्राइवेट लिमिटेड ने कथित रूप से शाहिद बलवा द्वारा प्रवर्तित डीबी रियलटी के जरिये 200 करोड रूपये की ऋण प्राप्त की थी.
Posted by राजबीर सिंह
at 11:13 am.