बिग बी को 'लगान' का नैरेटर लेने पर राजी नहीं थे गोवारिकर

निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ने महानायक अमिताभ बच्चन को ‘लगान’ फिल्म के कथावाचक के तौर पर खारिज कर दिया था.

गोवारिकर को लगता था कि बिग बी की अत्यधिक जानी पहचानी आवाज दर्शकों को वर्ष 1893 के दौर में नहीं ले जा पाएगी.

‘लगान’ के निर्माण के दस साल और आमिर खान प्रोडक्शन्स का एक दशक पूरा होने पर बुधवार रात आयोजित एक पार्टी में आमिर ने यह खुलासा किया. ‘लगान’ 1893 के घटनाक्रम पर आधारित थी.

बिग बी की मौजूदगी में आमिर ने पुरानी बातों को याद किया. उन्होंने बताया कि शुरू में अमिताभ ने कथावाचक के तौर पर फिल्म के लिए डबिंग करने के लिए हामी भर दी थी. लेकिन आशुतोष को लगा कि अमिताभ की आवाज इतनी अधिक जानी पहचानी है कि उनका (आशुतोष का) दर्शकों को 1893 के दौर में ले जाने का उद्देश्य शुरुआती दृश्य से ही नाकाम हो जाएगा.

आमिर ने कहा, ‘मैं स्तब्ध रह गया और आशुतोष के साथ मेरी बहस हो गई कि उन्होंने अमित जी के पास जाने और उनसे मिलने से पहले मुझसे क्यों नहीं पूछा. लेकिन अमित जी ने इसे बहुत सहजता से लिया और मुझसे कहा कि वह राहत महसूस कर रहे हैं क्योंकि वह सभी फिल्में बुरी तरह फ्लॉप हुईं जिनमें उन्होंने कथावाचक के तौर पर स्वर दिया था.’

आमिर ने बताया कि आखिर में आशुतोष की सोच बदल गई और उन्होंने तय किया कि कथावाचक के तौर पर सिर्फ और सिर्फ अमिताभ ही स्वर देंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं फिर अमित जी के पास गया और कहा कि मेरा निर्देशक पागल हो गया है. अब वह चाहता है कि कथावाचक के तौर पर आपकी आवाज का इस्तेमाल किया जाए. अमित जी ने एक शब्द भी नहीं कहा. लेकिन उन्होंने मुझे याद दिलाया कि वह अंधविश्वासी हैं और उन्हें लगता है कि वह असफलता का कारण बन जाते हैं. मैंने कहा कि हम खतरा मोल लेने के लिए तैयार हैं क्योंकि निर्माण के दौरान कई प्रतिकूल बातें हुईं लेकिन हमने सभी समस्याओं का हल निकाला.’

बॉलीवुड में मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से चर्चित आमिर ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास था कि जब अमिताभ ने पहली बार फिल्म देखी तो उन्हें वह पसंद नहीं आई थी.

बहरहाल, बिग बी ने आमिर के इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि पहली बार फिल्म देख कर उन्हें कैसा महसूस हुआ था.

अमिताभ ने कहा, ‘तब क्लाइमेक्स तैयार नहीं था और फिल्म का संपादन भी नहीं हुआ था. लेकिन पूरी फिल्म तैयार होने के बाद जब पहली बार दिखाई गई तो मुझे महसूस हुआ कि यह क्रिकेट के लोकप्रिय खेल और दमन के खिलाफ ग्रामीणों के एकजुट होने की कहानी का बेहद दिलचस्प संगम था.’

Posted by राजबीर सिंह at 4:33 am.
 

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