फिल्मों की संख्या की जगह गुणवत्ता पर जोर : नसीरुद्दीन शाह
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राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित 65 वर्षीय शाह ने बताया, मेरे 35 साल के करियर में अब मुझे सबसे बेहतरीन फिल्मों में काम करने के प्रस्ताव मिल रहे हैं.
नसीर ने ‘इजाजत', ‘स्पर्श', ‘आक्रोश', ‘कर्मा', और ‘मासूम' जैसी फिल्मों में उत्कृष्ट अभिनय किया. लेकिन वर्तमान समय में पर्दें पर अवधि की परवाह न करते हुए नसीर लगातार अपनी उत्कृष्ट अभिनय क्षमता को साबित कर रहे हैं.चाहे ‘इकबाल' का प्रशिक्षक हो, ‘इश्किया' का खालूजान या फिर ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' का पेंटर, नसीर ने सभी भूमिकाओं में जान डाल दी है.
नसीर ने कहा, जब मैंने अपना फिल्मी करियर शुरू किया था, तब मेरे पास कुछ इच्छाएं थीं, जिनमें से अधिकतर पूरी हो चुकी हैं.इच्छा थी कि विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं निभाने की. पिछले 35 साल में मेरी प्राथमिकताएं थोड़ी सी बदली हैं.शाह को भारतीय सिनेमा मे उनके योगदान के लिए 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
शाह ने कहा कि वह बड़ी भूमिकाओं के निभाने के खिलाफ नहीं हूं लेकिन वह उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं है. शाह ने कहा, पिछले 10 साल में मुझे अहसास हो गया है कि किसी फिल्म में किसी कलाकार की भूमिका क्या होनी चाहिए. मेरे लिए भूमिका की अवधि और महत्व अब ज्यादा मायने नहीं रखता.
इस समय शाह, अनुराग कश्यप प्रोडक्शन की फिल्म ‘माइकल' में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. इस फिल्म में वह भ्रष्ट पुलिसकर्मी की भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा, अभिनेता एक व्यक्ति के रूप में नहीं याद रखा जाता. उसे याद रखा जाता है एक उसके द्वारा निभाई गई भूमिकाओं से.
शाह ने कहा कि जिन फिल्मों में समय की कसौटी पर खरा उतरने की क्षमता होती है और जिस पर वह गर्व कर सकते हैं, उसमें ही वह अभिनय करते हैं.
उन्होंने कहा, मैं फिल्मों का चयन सूझबूझ से करता हूं और यह हर फिल्म के लिए अलग-अलग होता है.