दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में 4.2 तीव्रता का भूकंप

दिल्ली और एनसीआर समेत देश का एक बड़ा हिस्सा बुधवार की रात करीब 11.28 बजे भूकंप से थरथरा उठा.

बर्तन खड़खड़ाने लगे, पंखे कांपने लगे, दफ्तरों में लगे कांच चटख जाने की हद तक हिलने लगे और जो जहां था, वहीं से सुरक्षित ठिकाने की तलाश में सर पर पैर रखे भागा.

सूचना के जितने भी संभावित माध्यम हो सकते हैं, उनका इस्तेमाल कर लोगों ने अपने परिचितों, परिजनों और शुभेच्छुओं की कुशलक्षेम जानी. समयावधि के लिहाज से इसका अंतराल कुल जमा छह सेकेंड रहा लेकिन उन छह सेकेंड में ही रोंगटे खड़े हो गए.

सोनीपत, पानीपत, फरीदाबाद, गुड़गांव, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ व आसपास, उत्तराखंड के कई शहरों, कोलकाता और आसपास, जम्मू और मुंबई तक में इसका असर महसूस हुआ. मौसम विभाग के अनुसार भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.2 रही और इसका नाभि केंद्र सोनीपत रहा.

विभाग के अनुसार नाभि केंद्र की गहराई ज्यादा होने के कारण भूकंप से जानमाल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा वरना तबाही तय थी.

रात करीब 11.28 बजे जब लोग सो रहे थे या फिर दफ्तरों में रात की ड्यूटी बजा रहे थे या ड्यूटी से छूट घरों को वापस लौट रहे थे, या मरीजों की तीमारदारी में मसरूफ थे, भूकंप ने उन पर हल्ला बोल दिया. किसी की साइकिल थरथराने लगी तो किसी के हाथ से दवा की शीशी छूटी, किसी के हाथ से खाने की थाल गिर पड़ी, कहीं पंख कांपा तो कहीं सोफा हिलने लगा.

गरज कि हर ओर से कंपकंपी और उस कंपकंपी के साफ संकेत कुदरत दे रही थी. हर कान, हर आंख, हर संवेदी तंत्रिका को संभावित खतरे की इस खड़खड़ाहट ने बैचैन कर दिया.

महज छह सेकेंड भूकंप ने अपना खेल दिखाया लेकिन लोग घंटों कांपते रहे, इस आशंका में कि कहीं यह ट्रेलर तो नहीं था, कहीं फिर हल्ला न बोल दे यह भूकंप. दिल्ली, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव में भूकंप से इमारतें थर्रा उठीं.

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कहीं से भी जानमाल के किसी नुकसान की खबर नहीं थी. अग्निशमन विभाग और पुलिस ने बताया कि किसी नुकसान या किसी के हताहत होने संबंधी कोई कॉल देर रात तक उन्हें नहीं मिली थी.

Posted by राजबीर सिंह at 8:14 pm.
 

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