राहुल द्रविड 16 सितम्बर को खेलेगे वन डे कैरियर का आखिरी मैच

इंग्लैंड के खिलाफ कार्डिफ में राहुल द्रविड़ अपने वन डे करियर का आखिरी मैच खेलेंगे.

मिस्टर भरोसेमंद राहुल द्रविड़ का वन डे करियर उतार - चढाव से भरा रहा.

कभी धीमी गति से खेलने के लिए वो बदनाम हुए तो कभी फ्लॉप शो के कारण.

लेकिन विदेशी पिचों पर उनकी उपयोगिता साबित होती रही.

अब एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर चुके राहुल द्रविड 16 सितम्बर को कार्डिफ में अपना आखिरी मैच खेलेंगे.

वह अक्तूबर 2007 की बात है जब लगातार नौ मैच में केवल 8.88 की औसत से 80 रन बनाने के कारण राहुल द्रविड़ को भारतीय एकदिवसीय टीम से बाहर कर दिया गया था. तब उनका एकदिवसीय कैरियर समाप्त मान लिया था लेकिन इसके बाद दो-दो साल के अंतराल में टीम में वापसी करने वाले 'श्रीमान भरोसेमंद' इंग्लैंड के खिलाफ शुक्रवार को कार्डिफ में अब वास्तव में अपना आखिरी वनडे मैच खेलेंगे.

द्रविड़ को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में शानदार प्रदर्शन के कारण वनडे टीम में चुना गया और उन्होंने तभी घोषणा कर दी थी कि वह इस श्रृंखला के बाद क्रिकेट के इस प्रारूप को अलविदा कह देंगे. इससे पहले भी दो अवसरों पर यह मान लिया गया था कि द्रविड़ अपना आखिरी वनडे खेल चुके हैं लेकिन वह टीम में वापसी करने में सफल रहे थे लेकिन अब फैसला स्वयं द्रविड़ ने किया है.

अक्तूबर 2007 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ द्रविड़ का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और इसके बाद जब पाकिस्तान की टीम भारत आयी थी तो उन्हें टीम में नहीं चुना गया था. तब यह मान लिया गया था कि द्रविड़ ने 14 अक्तूबर 2007 को नवंबर में अपना आखिरी वनडे खेल लिया है. लेकिन इसके लगभग दो साल बाद उन्हें शार्ट पिच गेंद खेलने और विशेषकर दक्षिण अफ्रीका में खेले गये आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के दम पर श्रीलंका में त्रिकोणीय श्रृंखला और चैंपियन्स ट्राफी के लिये टीम में लिया गया.

तब चयनकर्ताओं के फैसले की कड़ी आलोचना हुई थी. इनमें दिलीप वेंगसरकर भी शामिल थे जिनके चयनसमिति का अध्यक्ष रहते हुए द्रविड़ बाहर किये गये थे. वेंगसरकर ने के श्रीकांत की अगुवाई वाली चयनसमिति के इस फैसले पर कहा था, ''यदि राहुल की इसलिये वापसी हुई है कि वह शार्ट गेंद को अच्छी तरह से खेलते हैं तो फिर यह भारतीय क्रिकेट के लिये चिंता का विषय है."

द्रविड़ को हालांकि दक्षिण अफ्रीका में खेली गयी चैंपियन्स ट्राफी के बाद फिर से बाहर कर दिया गया. उन्होंने इस बीच छह मैच में 180 रन बनाये जिनमें पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरियन में खेली गयी 76 रन की पारी भी शामिल है.

जब यह लगने लगा था कि द्रविड़ 30 सितंबर 2009 को जोहानिसबर्ग में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना अंतिम वनडे खेल चुके हैं तब इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला में तीन शतक जड़ने के कारण द्रविड़ की वनडे श्रृंखला में फिर से वापसी हो गयी. चयनसमिति के पूर्व अध्यक्ष किरण मोरे और वेंगसरकर इस बार चयनकर्ताओं के फैसले से खुश नहीं थे.

द्रविड़ हालांकि अब तक खेले गये चार मैचों में टेस्ट श्रृंखला जैसी फार्म नहीं दिखा पाये. उनसे उम्मीद की जा रही थी वह अच्छा प्रदर्शन करके अपना औसत 40 के ऊपर ले जाएंगे लेकिन चार मैच में 2, 32, 2, और 19 रन बनाने से अब उनका औसत 39 से भी नीचे गिरने का खतरा मंडराने लगा है. अब तक 39.06 की औसत से रन बनाने वाले द्रविड़ को 39 का औसत बनाये रखने के लिये कार्डिफ में अपने अंतिम एकदिवसीय मैच में कम से कम 22 रन जरूर बनाने होंगे.

द्रविड़ ने अपना पहला वन डे मैच सिंगापुर में तीन अप्रैल 1996 को श्रीलंका के खिलाफ खेला था लेकिन इस प्रारूप में लगातार होते बदलाव के कारण उनका स्थान टीम में खतरे में पड़ने लगा था. इसलिए जब सौरव गांगुली कप्तान बने तो उन्हें मन मसोसकर द्रविड़ से कहना पड़ा कि वह विकेटकीपर की जिम्मेदारी निभाने पर ही वनडे टीम का हिस्सा बने रह पाएंगे.

इससे पहले भी द्रविड़ वन डे में विकेटकीपर की भूमिका निभा चुके थे. सबसे पहले उन्होंने 1999 विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ टाटन में नयन मोंगिया के अनफिट होने के कारण विकेटकीपर की जिम्मेदारी संभाली थी और उस मैच में 145 रन बनाये थे. उन्होंने 2004 तक कुल 73 मैच में विकेटकीपर की जिम्मेदारी संभाली. इन मैचों में उन्होंने 44.23 की औसत से 2300 रन बनाये तथा 71 कैच और 13 स्टंप आउट किये.

द्रविड़ के वनडे कैरियर में 1999 का साल सबसे अहम रहा. उन्होंने उस कैलेंडर वर्ष में 43 मैच में छह शतक की मदद से 1761 रन बनाये जो एक वर्ष में सर्वाधिक रन बनाने के रिकार्ड में तीसरे नंबर पर दर्ज है. इनमें विश्व कप में 65.85 की औसत से बनाये गये 461 रन भी शामिल हैं. उन्होंने विश्व कप 1999 में सर्वाधिक रन बनाये थे.

द्रविड़ ने इसके अलावा दो अन्य वर्षों 2004 और 2005 में भी वनडे में 1000 से अधिक रन बनाये. वह दुनिया के उन आठ बल्लेबाजों में शामिल हैं जिनके नाम पर दस हजार से अधिक रन दर्ज हैं. उन्होंने अब तक 343 मैच में 39.06 की औसत से 10820 रन बनाये हैं. उन्होंने भारत की तरफ से 339 मैच खेले हैं जबकि आईसीसी विश्व एकादश के लिये तीन और एशिया एकादश के लिये एक मैच खेला है.

Posted by राजबीर सिंह at 8:13 pm.
 

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