भूमि की खरीददारी मे कोई भूमिका नहीं निभाएगी पश्चिम बंगाल सरकार : मुख्यमंत्री

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि कारखाने लगाने के लिए उद्योगों को भूमि खुद ही खरीदनी होगी.

सरकार इसमें कोई भूमिका नहीं निभाएगी.

उद्योगपतियों के साथ अपनी पहली बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘भूमि की खरीददारी उद्योग को खुद करनी होगी.सरकार किसी भी संकट से बचने के लिये जोर जबरदस्ती से भूमि का अधिग्रहण नहीं करेगी.’

एक उद्योगपति के सुझाव पर उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास के लिए राज्य का अपना माडल होगा और इसमें गुजरात के माडल को नहीं अपनाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों के लिए काफी जमीन की जरूरत होती है जबकि छोटे उद्योगों के लिए ज्यादा जमीन नहीं चाहिए होती. उन्होंने कहा कि राज्य का उद्योग मंत्रालय भूमि संबंधी समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रकोष्ठ बना सकता है.

इसी तरह प्रवासी भारतीयों से निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य में एक एनआरआई प्रकोष्ठ भी खोला जाएगा और एक अन्य प्रकोष्ठ राज्य के पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगिक विकास के लिए खोला जाएगा जो कि विशेष पैकेज तैयार करेगा.

आईटीसी के चेयरमैन वाईसी देवेश्वर की इस टिप्पणी पर कि उद्योगों को बड़ी काफी जमीन चाहिये होती है और इसके अधिग्रहण में दिक्कत होती है और इस दौरान बिचौलिए भी खड़े हो जाते हैं, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सरकार जमीन की कीमत तय नहीं कर सकती है और यह काम उद्योगों को सरकार के बिना ही करना पड़ेगा.’

एसके बिड़ला की एक टिप्पणी पर बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार बंद और हड़ताल की राजनीति पर विश्वास नहीं करती है. 'हमने यह पहले किया लेकिन बाद में यह महसूस किया कि इससे कोई फायदा नहीं होता. हम इस तरह की कारवाई को बर्दाश्त नहीं करेंगे.’

बनर्जी ने कहा कि सरकार को मिलने वाले प्रस्तावों और सुझावों पर विचार के लिये वाणिज्य एवं उद्योग मंडलों, वित्त मंत्री और उद्योग मंत्री और प्रमुख सचिवों की एक शीर्ष समिति गठित की जायेगी. उन्होंने कहा कि इस समिति की बैठक प्रत्येक 15 दिन में होगी जिसमें स्थिति की समीक्षा की जायेगी.

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भूमि का नक्शा और भूमि बैंक बनाने की प्रक्रिया में भी है. उन्होंने पिछली वाममोर्चा सरकार की आलोचना करते हुये कहा कि वर्ष 1991 से राज्य में 4700 निवेश प्रस्तावों में से केवल 1300 पर ही अमल किया गया.

ममता ने कहा कि उनकी सरकार को लगता है कि राज्य के प्रत्येक जिले में एक आईटी केन्द्र की संभावना है, राज्य में इस उद्योग को अभी तक विकसित नहीं किया गया. उन्होंने उद्योगों को पर्यटन क्षेत्र में निवेश के लिये कहा और बताया कि राज्य सरकार ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य सुविधायें विकसित करने के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी का नमूना तैयार कर रही है.

उद्योगपतियों की इस बैठक में एडी गोदरेज, संजीव गोयनका, हर्ष निओतिया, फोर्टिस के उपाध्यक्ष शिविंदर सिंह, हल्दिया पेट्रो के प्रबंध निदेशक पार्थ भट्टाचार्य और विभिन्न वाणिज्य एवं उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी भी इस मौके पर बैठक में उपस्थित थे.

Posted by राजबीर सिंह at 8:48 pm.
 

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