हूजी ने ली दिल्ली विस्फोट की जिम्मेदारी, हमला अफजल की सजा-ए मौत का बदला

दिल्ली विस्फोट की जिम्मेदारी लेते हुए हूजी ने कहा की यह अफजल गुरु की सजा-ए मौत का बदला है.

राजधानी दिल्ली में बुधवार सुबह हाईकोर्ट के बाहर करीबन सवा दस बजे हुए धमाके में 12 लोग मारे गए जबकि 76 घायल हुए हैं.

अदालत के गेट नंबर पांच के पास हुए इस धमाके की जिम्मेदारी आतंकी संगठन हरकत उल जिहाद इस्लामी (हूजी) ने ली है. हूजी की ओर से मीडिया संस्थानों को ई मेल भेजा था.

हूजी के मेल में ये संदेश था कि 'दिल्ली ब्लास्ट की हम जिम्मेदारी लेते हैं और हमारी मांग है कि 2001 में संसद पर हमले के दोषी अफज़ल गुरू को रिहा किया जाए नहीं तो हम प्रमुख उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनायेंगे.'

राष्ट्रीय जांच दल यानि एनआईए इस मेल की गंभीरता से जांच कर रहा है.

एनआईए प्रमुख एस सी सिन्हा ने विस्फोट के बाद कहा था कि वो हूजी के भेजे इस ई-मेल को गंभीरता से ले रहे हैं.और हूजी के इस दावे की गंभीरता से जांच कर रहे हैं कि इस दावे में कितनी सच्चाई है.

हमारी मांग है कि मोहम्मद अफजल गुरु की फांसी की सजा तत्काल वापस ली जाए, नहीं तो हम बड़े उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट को भी निशाना बनाएंगे. हालांकि इस मेल की प्रामाणिकता अभी जांची जा रही है.

दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर बुधवार को हुए बम विस्फोट में सम्भवतः अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया है.

दिल्ली पुलिस के अपर आयुक्त केसी द्विवेदी ने कहा, इस विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल की सम्भावना है.

विस्फोट इतना जबरदस्त था कि घटनास्थल पर 3-4 फुट गहरा गड्ढा हो गया था.

मुम्बई में 13 जुलाई के तिहरे बम विस्फोट के बाद भारत सरकार ने 27 जुलाई को अमोनियम नाइट्रेट को विस्फोटक अधिनियम-1884 में शामिल किया था और उसकी खुली बिक्री, खरीद एवं उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

बुधवार को हुए विस्फोट के बाद जांच में जुटी अपराध शाखा के प्रमुख, पुलिस उपायुक्त अशोक चांद ने कहा,इस विस्फोट में कीलों का उपयोग हुआ है.मुम्बई पर 2008 में हुए आतंकवादी हमले के बाद से देश में यह तीसरा बड़ा आतंकवादी हमला है.

दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर हुए विस्फोट की जांच की जिम्मेदारी एनआईए को सौंप दी गई है.

केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को सदन में विस्फोट की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपने का ऐलान किया था. एक तरह से यह दिल्ली पुलिस के लिए एक झटका है.

क्योंकि इससे पहले हुए हमलों को दिल्ली पुलिस सुलझाने में नाकाम रही है जिस कारण यह कदम उठाया गया है.

जामा मस्जिद ब्लास्ट और 22 मई 2005 में दिल्ली के दो सिनेमाधरों में हुए विस्फोटों को सुलझाने में दिल्ली पुलिस के नाकाम रहने से इसकी जांच की जिम्मा एनआईए को सौंपा गया है.

दिल्ली पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शियों के बताए विवरण के आधार पर विस्फोट के संदिग्धों के दो स्केच तैयार किए हैं.

जिन संदिग्धों के स्केच जारी किये गए हैं, समझा जाता है कि उनमें से एक की उम्र 50 वर्ष के आसपास और दूसरे की उम्र 20 वर्ष से अधिक है. ये दोनों स्केच घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के ब्यौरे के आधार पर तैयार किये गए हैं.

दोनों संदिग्धों में छोटे की लम्बाई छह फुट से कम होने का अनुमान व्यक्त किया गया है, उसके बारे समझा जाता है कि उसने बीच से मांग (बाल) निकाल रखी थी. दूसरे व्यक्ति ने संभवत: छोटी दाढ़ी रखी थी.

बुधवार सुबह दिल्ली हाई कोर्ट परिसर के गेट नंबर 5 के पास ज़बरदस्त विस्फोट हुआ. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बम एक ब्रीफकेस में रखा हुआ था.

लोगों ने बताया कि उसने सफेद कुर्ता पाजामा पहन रखा था और वह पुराना किला की तरफ भागा था.

हूजी की धमकी के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि आतंक से लड़ाई लंबा युद्ध है. हम जीत जाएंगे. ढाका से दिल्ली पहुंचने के बाद मनमोहन सीधे राम मनोहर लोहिया अस्पताल गए और घायलों का हालचाल लिया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था में कुछ कमियां हैं जिसे दूर करने की जरूरत है.

Posted by राजबीर सिंह at 10:50 pm.
 

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