बैटरी कों रिचार्ज करने का किफायती और आसान तरीका इजाद

तकनीक के विकास के साथ-साथ बैटरियों का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है.

लेकिन हर बैटरी के इस्तेमाल की अपनी निर्धारित अवधि होती है जिसके बाद वह इस्तेमाल के लायक नहीं रह जाती.

बेकार हो जाने के बाद बैटरियों को निपटाना एक बड़ी समस्या होती है क्योंकि इसमें सीसा जैसा हानिकारक पदार्थ इस्तेमाल होता है.

लेकिन भारतीय मूल के एक शोधार्थी ने सीसा युक्त बैटरियों के पुनर्चक्रण (रीसाइकलिंग) के लिए एक किफायती और आसान तरीका इजाद किया है. इस शोधार्थी के नेतृत्व में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के एक समूह ने जिस तरीके को ईजाद किया है उससे बैटरी को फिर से पुनर्चक्रित करके इस्तेमाल के लायक बनाया जा सकेगा.

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने लंदन में जारी एक बयान में कहा है कि सामाग्री और धातु कर्म विभाग के वसंत कुमार और उनके सहयोगियों ने पुनर्चक्रण की इस प्रक्रिया को विकसित किया है. इसमें ऊर्जा की कम खपत होती है और विषाक्त पदार्थ का उत्सर्जन भी कम होता है. यही वजह है कि यह विधि वर्तमान में प्रचलित विधि से अधिक किफायती है.

कुमार इस सप्ताह हैदराबाद में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल सेकेन्ड्री लेड कांफ्रेन्स में इस विधि का प्रदर्शन करेंगे.

उल्लेखनीय है कि वाहन उद्योग एवं सभी औद्योगिक उपयोग के अलावा सारी दुनिया में सीसा युक्त बैटरियों का पर्याप्त इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रकार की बैटरियां प्राय: सस्ती होती हैं. अधिक क्षमता और कम वजन वाली इन बैटरियों को अक्सर कई बार रीचार्ज किया जाता है. धीरे धीरे इनकी क्षमता में कमी आने लगती है और इनका पुनर्चक्रण करने की आवश्यकता होती है.

उत्तरी अमेरिका और यूरोप में करीब 95 फीसद सीसा युक्त बैटरियों का पुनर्चक्रण किया जाता है. इन देशों के पास पुनर्चक्रण के लिए बेहतर एवं व्यवस्थित ढांचा है जबकि भारत और चीन जैसे उभरते हुये देशों के पास ऐसी सुविधा नहीं है और इन देशों के उद्योगों में बैटरी पर होने वाला खर्च तेजी से बढ़ रहा है.

Posted by राजबीर सिंह at 10:24 pm.
 

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