प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बांग्लादेश के दौरे पर रवाना

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंगलवार को बांग्लादेश के दौरे पर रवाना हो गए हैं,इस यात्रा में कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की सम्भावना है.

दोनों देशों में इस यात्रा के दौरान सीमा विवाद, जल समझौता, पारगमन संधि और व्यापारिक साझेदारी पर बात होने की उम्मीद है.

प्रधानमंत्री के साथ अब असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय के मुख्यमंत्री जाएंगे.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के साथ जाने से इंकार करने के कारण तीस्ता नदी के जल बंटवारे से सम्बंधित समझौते पर सवाल खड़ा हो गया है.

ममता बनर्जी ने तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौते के अंतिम मसौदे का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री के साथ जाने से इंकार कर दिया. तीस्ता का उद्गम सिक्किम में होता है. पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से से होकर नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है.

विदेश सचिव रंजन मथाई ने सोमवार को कहा कि राज्यों की सलाह के बिना न कुछ पहले किया गया है और न कुछ अब किया जाएगा.

मथाई ने कहा कि दोनों देश 1974 के सीमा समझौते को लागू करने के रास्ते निकालेंगे. यह बहुत कठिन काम है.


भारत-बांग्लादेश सीमा 4,095 किलोमीटर लम्बी है. भारत को अपनी सीमा में पड़ने वाले 111 क्षेत्र बांग्लादेश को हस्तांतरित करने हैं, जबकि बांग्लादेश अपनी सीमा में पड़ने वाले 51 क्षेत्र भारत को हस्तांतरित करेगा.

प्रधानमंत्री की यात्रा में दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार असंतुलन को दूर करने पर भी चर्चा हो सकती है. वर्ष 2010-11 में भारत ने बांग्लादेश को 3.84 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जबकि आयात 40.63 करोड़ डॉलर का था. भारत बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. चीन 2009 से बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.

भारत के लिए पूर्वोत्तर राज्य सम्पर्क एक अहम मुद्दा है. पूवरेत्तर राज्य बांग्लादेश, म्यांमार, चीन और भूटान से घिरे हैं. भारत के अन्य राज्यों से यहां पहुंचने का एकमात्र रास्ता असम की पहाड़ी और दुर्गम इलाकों से होकर गुजरता है.

इस समस्या को इस तरह से अधिक स्पष्टता से समझा जा सकता है कि कोलकाता से अगरतला की दूरी असम होकर 1,650 किलोमीटर है, जबकि बांग्लादेश से होकर यह दूरी सिर्फ 350 किलोमीटर है.

भारत अन्य पारगमन सुविधाओं के अलावा दक्षिण बांग्लादेश के अखूरा शहर से अगरतला तक एक रेलमार्ग बनाना चाहता है.

मथाई ने कहा कि इस यात्रा के बाद बांग्लादेश के साथ सम्बंधों में काफी गरमी आएगी.

देश के प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा 12 साल बाद हो रही है. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 1999 में ढाका-कोलकाता बस सेवा शुरू करने के लिए बांग्लादेश की यात्रा की थी.

इस यात्रा में एक अन्य नदी फेनी नदी के जल बंटवारे पर भी बात आगे बढ़ सकती है. फेनी नदी के जल संग्रहण क्षेत्र का करीब आधा हिस्सा भारत में और आधा बांग्लादेश में पड़ता है.

भारत से होकर बांग्लादेश में 54 नदियां पहुंचती हैं. तीस्ता और फेनी के अलावा अन्य नदियों के साथ इस तरह का कोई विवाद नहीं है.

Posted by राजबीर सिंह at 11:27 pm.
 

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