मुंबई में 13 जुलाई को हुए विस्फोट के मामले में जांच अभी जारी

केंद्र ने कहा कि मुंबई में 13 जुलाई को हुए विस्फोट के मामले में जांच अभी जारी है.

हालांकि सरकार ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि क्या हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई है.

गृह मंत्री पी चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ''मैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के संपर्क में हूं . वह जांच में हुई प्रगति से संतुष्ट लग रहे हैं, लेकिन इससे ज्यादा मैं कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं."

यह पूछे जाने पर कि क्या इस आतंकवादी कृत्य के पीछे आईएसआई थी, उन्होंने कहा, ''मैं मीडिया की उस खबर को पुष्ट नहीं कर सकता."

ओपरा हाउस, झावेरी बाजार और दादर में 13 जुलाई को हुए विस्फोट में 27 लोग मारे गए थे.

दया याचिकाओं पर स्थिति स्पष्ट की

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की दया याचिका पर राष्ट्रपति से पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए तमिलनाडु विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट की और यह भी कहा कि जब तक कानून में मौत की सजा का प्रावधान रहेगा, अदातलें इसे देती रहेंगी.

गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''चूंकि अदालती कार्यवाही चल रहीं हैं इसलिए मैं राष्ट्रपति द्वारा लिये गये फैसले या विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव के संबंध मं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता."

तमिलनाडु विधानसभा ने राष्ट्रपति से राजीव गांधी हत्याकांड के तीनों दोषियों मुरुगन, संथन तथा पेरारिवालन की दया याचिकाओं पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए प्रस्ताव पारित किया है और मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी फांसी की सजा पर आठ सप्ताह की रोक लगा दी है.

इस संबंध में पूछे गये सवालों पर प्रतिक्रि या देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ''मामला अदालत में लंबित है इसलिए कोई टिप्पणी नहीं करुंगा.

मैं प्रतिक्रया (गृह मंत्रालय द्वारा अदालत को दी जाने वाली) को लेकर कोई टिप्पणी तब तक नहीं कर सकता जब तक कि मंत्रालय को रिट याचिका पर अदालत का नोटिस नहीं मिलता."

चिदंबरम ने कहा कि पहले भी इस तरह के मामले रहे हैं जब लोग राष्ट्रपति द्वारा दया याचिकाओं को खारिज किये जाने के बाद अदालतों में गये हैं.

मौत की सजा की प्रासंगिता के बारे में गृह मंत्री ने कहा कि यह बहुत बड़ा सवाल है जिस पर अलग मंच पर बहस होनी चाहिए.

चिदंबरम ने कहा, ''जब तक मौत की सजा का प्रावधान होता है, अदालतें दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में मौत की सजा सुनाएंगी."

चिदंबरम ने कहा, ''हमारे पास वही मामले आते हैं जिनमें मौत की सजा सुनाई जाती है. इसलिए कानून की किताब में मौत की सजा का प्रावधान होना चाहिए या नहीं इस पर दो विचार हैं. लेकिन इस वक्त हम कानून प्रभाव में लाने पर विचार कर रहे हैं."

गृह मंत्री ने राजग के शासनकाल के समय से लेकर अब तक मौत की सजा के मामलों में दोषियों की क्षमा याचिकाओं पर ब्योरा देते हुए कहा कि जब विपक्ष सत्ता में था तो राष्ट्रपति को 14 दया याचिकाएं भेजी गयीं थीं लेकिन उन छह साल में एक पर भी फैसला नहीं हुआ.

उन्होंने कहा, ''संप्रग सरकार के गठन के बाद मेरे पूर्ववर्ती मंत्री ने फिर से 14 मामले भेजे और 14 और मामले जमा किये. इस तरह उन्होंने कुल 28 मामले राष्ट्रपति को भेजे. 28 में से दो मामलों में फैसला किया गया. यह मोटे तौर पर 10 साल और कुछ महीनों का ब्योरा है."

चिदंबरम ने कहा कि उन्हें 26 मामले मिले, जिन्हें कुछ और मामलों के साथ राष्ट्रपति को भेजा गया.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की इच्छा के अनुरूप उनसे विचार विमर्श के बाद उन्होंने सभी मामलों में फिर से अध्ययन किया आैर उनमें से 23 को फैसले के लिए राष्ट्रपति को भेजा.

चिदंबरम ने कहा, ''13 मामलों में राष्ट्रपति का फैसला आया."

उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि हम इससे ज्यादा तेज गति से कुछ कर सकते थे. दो साल और तीन महीने में हमने 23 मामले फिर से जमा किये थे और हमें 13 में फैसला मिला. ये तथ्य हैं. कानून इत्यादि पर बहस उचित फोरम पर होनी चाहिए."

दया याचिकाओं के मुद्दे का क्या राजनीतिकरण किया जा रहा है, इस सवाल पर गृह मंत्री ने कोई टिप्पणी नहीं की.

हेडली के खिलाफ जल्द आरोपपत्र दाखिल करेगी एनआईए

मुंबई में 26 नवंबर 2008 को निशाना बनाये जाने वाले स्थानों का मुआयना करने वाले लश्कर-ए तैयबा आतंकवाद डेविड हेडली के खिलाफ जल्द आरोपपत्र दाखिल करेगी.

गृहमंत्री पी. चिदंबरम से जब पूछा गया कि क्या सरकार पाकिस्तानी अमेरिकी नागरिक हेडली पर कार्रवाई के बारे में सोच रही है तो उन्होंने कहा, ''जहां तक आरोपपत्र की बात है, मेरा मानना है कि एनआईए और अधिक जानकारी का इंतजार कर रही है. मुझे लगता है कि वे करीब करीब तैयार हैं. जैसे ही वह अंतिम जानकारी हासिल करेंगे, आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा."

पिछले हफ्ते गृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि आतंकवादी हमले में हेडली की संलिप्तता पर भारत में जांच पूरी हो गयी है.

उन्होंने लोकसभा में कहा था, ''अमेरिका से कुछ साक्ष्यों का इंतजार है. इसी तरह कुछ अन्य आरोपियों के संबंध में पाकिस्तान से साक्ष्यों का स्थानांतरण का इंतजार है. तदानुरूप मामले में अंतिम रिपोर्ट सक्षम अदालत में दाखिल की जाएगी."

क्या गृह मंत्रालय को 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के प्रमुख गवाहों के बयान रिकार्ड करने के लिए पाकिस्तान से एक आयोग की प्रस्तावित यात्रा पर वहां से कोई संदेश आया है, इस पर चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने अभी तक कोई संदेश नहीं देखा है लेकिन इस संबंध में पाकिस्तानी अदालत के आदेश के बाद यह संभव है.

उन्होंने कहा, ''हो सकता है कि पाकिस्तान सरकार से कोई पत्र आये. यह उच्चायोग या विदेश मंत्रालय के जरिये आएगा. इसलिए मैं इस सवाल पर कोई 'हां" या 'ना" नहीं कह सकता."

Posted by राजबीर सिंह at 8:22 pm.
 

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