पत्रकारों को बिना लाइसेन्स बंदूक दो
ताजा खबरें, संपादकीय 8:57 am
इत संस्था का नाम है मीडिया फ्रीडम. नाम पहले नहीं सुना लेकिन इसके संयोजक महोदय की मांग से ऐसा लगता है कि वे क्राइम रिपोर्टर रहे होंगे. उनका नाम अजय पाण्डेय है. उनका कहना है कि संगठन की यह भी मांग है, कि जो पत्रकार, खतरे का सामना कर रहे हैं उनके लिए अनिवार्य सत्यापन के बिना बंदूक लाइसेंस दिया जाए।
प्रेस फ्रीडम ने उन अन्य सभी पत्रकारों के एक परिजन को, जिनकी अभी हाल ही में हत्या कर दी गई है, नौकरी की मांग की है. इसमें दैनिक भास्कर बिलासपुर के पत्रकार सुशील पाठक और नई दुनिया, रायपुर के पत्रकार उमेश राजपूत के परिवार शामिल हैं. 18 जून को, प्रेस फ्रीडम देश भर में काला दिवस और धरने का आयोजन भी करेगा.
इस संस्था का दावा है कि वह मीडिया के हितों के लिए संघर्ष करने वाला संगठन है. इसलिए 'प्रेस फ्रीडम (पीएफ) ' देश भर में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ, जून 18 को एक राष्ट्रव्यापी काला दिवस आयोजित करेगा।
दिल्ली में, भी पीएफ अपनी मांगों के समर्थन में जंतर मंतर पर एक दिवसीय उपवास का आयोजन करेगा. 18 जून को सभी पत्रकार जंतर मंतर पर इकट्ठा होकर पत्रकारों के खिलाफ नृशंस कृत्य के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए काले फीते बांधेंगे और और दिन भर उपवास रखेंगे. श्री पांडे के मुताबिक, प्रेस फ्रीडम ने इस कार्यक्रम के विषय में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, नई दिल्ली जिला, को सूचित कर दिया है।
उन्होंने सभी पत्रकारों से जंतर मंतर पर इकट्ठा होकर धरना और प्रदर्शन में भाग लेने की मांग की। उन्होंने बताया कि प्रेस फ्रीडम बिजनेस स्टैंडर्ड, दिल्ली के पूर्व पत्रकार और आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहे कपिल शर्मा की अवैध हिरासत और यातना के मामले को भी पूरी शिद्दत के साथ सरकार के सामने उठाएण्गा।. शर्मा को 11 और 12 जून 2011 की आधी दिल्ली पुलिस ने थर्ड डिग्री प्रयोग करते हुए यातना दी थी.
यह तो रही खबर की बात. लेकिन इस खबर पर अपनी टिप्पणी यह है कि कुल जमा तीन सौ शब्दों की इस प्रेस रिलीज में तीस से ज्यादा गलतियां थीं. जिन महोदय ने यह प्रेस रिलीज भेजी है उनसे हम जरूर जानना चाहेंगे कि पत्रकारों के लिए बंदूक की मांग करनेवाले इस संगठन के कारोबारियों का खुद शब्दों से कितना नाता है?
बहरहाल, इन महोदय को इतनी जानकारी अपनी ओर से देना चाहेंगे कि दिल्ली सरकार जहां अखबारों के आरएनआई का फार्म देती है ठीक उसके बगल वाले काउण्टर पर बंदूक के लाइसेन्स का काउण्टर है. हो सके तो प्रेस फ्रीडम के कर्ता धर्ता बजाय जंतर मंतर के डिफेन्स कालोनी में अपना धरना दें। उसी जगह जहां अखबार और बंदूक का लाइसेन्स साथ साथ मिलता है. आपको समय मिले तो जाइये और बंदूक की मांग को अपना समर्थन दीजिए.
विस्फोट.कॉम से साभार