अपने हर किरदार को सामाजिक पृष्टभूमि के हिसाब से देखते है प्रकाश झा

नई दिल्ली। प्रख्यात निर्देशक प्रकाश झा अपनी हर फिल्म के जरिए समाज में एक नई बहस छेड़ना जानते हैं। अमिताभ के साथ उनकी आगामी फिल्म आरक्षण भी आरक्षण की राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती नजर आएगी।

झा ने कहा, मैं अपने हर किरदार को सामाजिक पृष्टभूमि के हिसाब से देखता हूं। मुझे निजी या व्यक्तिगत कहानियों में दिलचस्पी नहीं है, जबतक कि उसका कोई समाजिक सरोकार न हो। मेरे किरदार हमेशा कुछ न कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। लेकिन मान्यताओं के विरुद्ध झा कहते हैं कि सिनेमा के माध्यम से वह कोई राह दिखालाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।

दर्शकों के जेहन में दामुल, मृत्युदंड, गंगाजल अपहरण..अपनी हर फिल्मों के जरिए कुछ न कुछ संदेश देने वाले झा कहते हैं कि आरक्षण का विषय 1980 के आसपास से ही उन्हें परेशान करता रहा है।

झा कहते हैं, मैं अपने विचार नहीं रखता हूं, बल्कि मैं ऐसे किरदार या विषय की तलाश करता हूं जिसे सिनेमा में उठा सकूं। यह एक धीमी लेकिन लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। जब मैं राजनीति बना रहा था, यानि चार साल पहले ही मैंने बच्चनजी को आरक्षण की कहानी सुनाई थी।


Posted by राजबीर सिंह at 1:41 am.
 

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