तीन साल बाद बहन से मिल फूट-फूट कर रोया सरबजीत सिंह
ताजा खबरें, देश-विदेश 9:42 am
लाहौर। पाकिस्तान की जेल में बंद सरबजीत सिंह गुरुवार को अपनी बहन दलबीर कौर से मिला और दोनों फूट-फूट कर रोए। दोनों तीन साल बाद मिले थे। सरबजीत भारतीय है।
पाकिस्तान की अदालतों ने वर्ष 1990 में हुए बम विस्फोट के चार मामलों में उसे दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है। उन विस्फोटों में चौदह लोग मारे गए थे। उसे वर्ष 2008 में ही फांसी होने वाली थी लेकिन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के हस्तक्षेप के बाद उसकी सजा पर अमल को अनिश्चितकाल के स्थगित कर दिया गया।
सरबजीत से मिलने और पाकिस्तान सरकार से उसकी रिहाई की पैरवी करने के लिए कौर गत 6 जून से पाकिस्तान में हैं। उन्होंने बताया कि सरबजीत गंभीर रूप से तनावग्रस्त है। उसका अधिकांश समय अपनी किस्मत को लेकर चिंता करते गुजरता है। यहां कोट लखपत जेल में सरबजीत से मिलने के बाद कौर ने कहा, 'अपने भाई से मिलकर मेरे जख्म हरे हो गए। वह मुझसे मिलने के बाद फूट-फूटकर रोया और अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए मदद करने को कहा।
आप जानते हैं कालकोठरी में अकेले कैद रहना अच्छा नहीं है। उससे मिलकर मैं भी खूब रोई। मेरा शरीर ठंडा पड़ गया था लेकिन ऐसे मामलों में ऐसा होता है।' कौर ने कहा कि सरबजीत अपने को बेकसूर साबित करने के लिए बेचैन है। वह अपने परिवार के साथ रहना चाहता है। करीब 90 मिनट की इस मुलाकात में उसने अपनी पत्नी, बेटियों, दामाद, दोस्तों और पड़ोसियों के बारे में पूछा।
वह अपने पड़ोसियों या दोस्तों का नाम नहीं भूला है। वह हर क्षण अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताए गए पलों को याद करता है। सरबजीत के परिजनों का कहना है कि बम विस्फोट के मामलों में उसे गलत ढंग से फंसाया गया है। कौर एक माह की वीजा पर पाकिस्तान में हैं।
उन्होंने कहा कि वह इस्लामाबाद जाने के लिए वीजा का आवेदन करेंगी और सरबजीत की रिहाई के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलने का प्रयास करेंगी।
पाकिस्तान की अदालतों ने वर्ष 1990 में हुए बम विस्फोट के चार मामलों में उसे दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है। उन विस्फोटों में चौदह लोग मारे गए थे। उसे वर्ष 2008 में ही फांसी होने वाली थी लेकिन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के हस्तक्षेप के बाद उसकी सजा पर अमल को अनिश्चितकाल के स्थगित कर दिया गया।
सरबजीत से मिलने और पाकिस्तान सरकार से उसकी रिहाई की पैरवी करने के लिए कौर गत 6 जून से पाकिस्तान में हैं। उन्होंने बताया कि सरबजीत गंभीर रूप से तनावग्रस्त है। उसका अधिकांश समय अपनी किस्मत को लेकर चिंता करते गुजरता है। यहां कोट लखपत जेल में सरबजीत से मिलने के बाद कौर ने कहा, 'अपने भाई से मिलकर मेरे जख्म हरे हो गए। वह मुझसे मिलने के बाद फूट-फूटकर रोया और अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए मदद करने को कहा।
आप जानते हैं कालकोठरी में अकेले कैद रहना अच्छा नहीं है। उससे मिलकर मैं भी खूब रोई। मेरा शरीर ठंडा पड़ गया था लेकिन ऐसे मामलों में ऐसा होता है।' कौर ने कहा कि सरबजीत अपने को बेकसूर साबित करने के लिए बेचैन है। वह अपने परिवार के साथ रहना चाहता है। करीब 90 मिनट की इस मुलाकात में उसने अपनी पत्नी, बेटियों, दामाद, दोस्तों और पड़ोसियों के बारे में पूछा।
वह अपने पड़ोसियों या दोस्तों का नाम नहीं भूला है। वह हर क्षण अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताए गए पलों को याद करता है। सरबजीत के परिजनों का कहना है कि बम विस्फोट के मामलों में उसे गलत ढंग से फंसाया गया है। कौर एक माह की वीजा पर पाकिस्तान में हैं।
उन्होंने कहा कि वह इस्लामाबाद जाने के लिए वीजा का आवेदन करेंगी और सरबजीत की रिहाई के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलने का प्रयास करेंगी।
Posted by राजबीर सिंह
at 9:42 am.