अब कोई "जादू की छडी" ही महंगाई दूर कर सकती है : मुरली मनोहर जोशी
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भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने रविवार को कहा कि अब कोई जादू की छडी ही महंगाई दूर कर सकती है.
जोशी ने केन्द्र सरकार पर महंगाई को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया है.
जोशी ने दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि देश में खाद्यानों एवं खाद्य पदार्थों की महंगाई की दर दहाई अंकों तक पहुंच चुकी है और अभी भी इसके और आगे बढने की आशंका है.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पहले विकास दर नौ प्रतिशत रहने की संभावना जतायी थी और इसके बाद यह दर सवा आठ प्रतिशत तक आने की बात कही गयी. अब इसके पौने आठ प्रतिशत रहने की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि महंगाई जिस तरह से बढ रही है उससे यह अंक भी छूने की संभावना नहीं है.
जोशी ने कहा कि वित्त मंत्रालय, योजना आयोग और वाणिज्य मंत्रालय ने भी अपने हाथ खडे कर दिये हैं और अब महंगाई कम करने के लिये जादू की छडी का ही सहारा रह गया है.
जोशी ने कहा कि सरकार को वित्तीय एवं मौद्रिक प्रबंधन पर गहरायी से विचार करना चाहिये और महंगाई पर नियंत्रण के लिये अकेले रिजर्व बैंक पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिये.
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों का परिणाम उत्पादन पर पडने लगा है जिससे पिछली तिमाही में विकास की दर घट गयी है और इस तिमाही में भी विकास दर बढने के आसार नहीं हैं.
जोशी ने केन्द्र सरकार पर महंगाई को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया है.
जोशी ने दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि देश में खाद्यानों एवं खाद्य पदार्थों की महंगाई की दर दहाई अंकों तक पहुंच चुकी है और अभी भी इसके और आगे बढने की आशंका है.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पहले विकास दर नौ प्रतिशत रहने की संभावना जतायी थी और इसके बाद यह दर सवा आठ प्रतिशत तक आने की बात कही गयी. अब इसके पौने आठ प्रतिशत रहने की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि महंगाई जिस तरह से बढ रही है उससे यह अंक भी छूने की संभावना नहीं है.
जोशी ने कहा कि वित्त मंत्रालय, योजना आयोग और वाणिज्य मंत्रालय ने भी अपने हाथ खडे कर दिये हैं और अब महंगाई कम करने के लिये जादू की छडी का ही सहारा रह गया है.
जोशी ने कहा कि सरकार को वित्तीय एवं मौद्रिक प्रबंधन पर गहरायी से विचार करना चाहिये और महंगाई पर नियंत्रण के लिये अकेले रिजर्व बैंक पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिये.
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों का परिणाम उत्पादन पर पडने लगा है जिससे पिछली तिमाही में विकास की दर घट गयी है और इस तिमाही में भी विकास दर बढने के आसार नहीं हैं.
Posted by राजबीर सिंह
at 9:40 pm.