कसाब के दो वकीलों को कानूनी फीस अभी तक नहीं मिली

मुंबई पर आतंकवादी हमलों में गिरफ्तार अजमल कसाब के दो वकीलों को कानूनी फीस पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

अमीन सोलकर और फरहाना शाह ने कसाब को सुनाई गई सजाए मौत के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में तकरीबन नौ महीने तक रोजाना दलीलें दी. बंबई उच्च न्यायालय ने उन्हें कसाब के वकील के रूप में नामित किया था. अब सोलकर और फरहाना दोनों का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार के कानूनी मदद प्रकोष्ठ ने अभी तक उनकी फीस नहीं चुकाई है.

बंबई उच्च न्यायालय ने इस साल फरवरी में अपने आदेश में कसाब को निचली अदालत में सुनाई गई सजाए मौत की पुष्टि कर दी थी. लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी ने उच्चतम न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी है.

बंबई उच्च न्यायालय से अपने नामांकन के बाद महाराष्ट्र सरकार कानूनी सेवा विभाग ने नवंबर 2008 के हमले में निचली अदालत से सुनाई गई सजाए मौत के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील में कसाब का बचाव करने के लिए सोलकर और फरहाना की नियुक्ति की थी. इस संबंध में आठ जून 2010 को उनकी नियुक्ति पर एक अधिसूचना जारी की गई थी.

इस अधिसूचना पर तत्कालीन सचिव एके सोनावने के हस्ताक्षर थे और इसके अनुसार उन्हें पारिश्रमिक के रूप में उतनी रकम मिलनी थी जितना किसी अतिरिक्त लोक अभियोजक को मिलती है जो सजाए मौत की पुष्टि मामले का संचालन करता है.

जहां यह ठीक ठीक नहीं पता है कि उन्हें प्रति सुनवाई कितनी रकम मिलेगी, जानकार सूत्रों के अनुसार प्रति सुनवाई यह रकम 1500 रूपये से 2000 रूपये के बीच है.

उल्लेखनीय है कि अगर कोई आरोपित अपने लिए कोई वकील नियुक्त नहीं कर पाता है तो अदालत कानूनी सेवा विभाग से किसी वकील को नामित कर सकती है. बंबई उच्च न्यायालय ने कसाब की अपील पर पिछले साल जून में सुनवाई शुरू की थी और इस साल फरवरी में उसकी सजाए मौत की पुष्टि की.

अपील पर सुनवाई की शुरूआत से ही सोलकर और फरहाना दोनों लगभग रोज ही दलील देने के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष पेश होते रहे. फरहाना ने बताया, 'हमने इस मामले को तरजीह दिया क्योंकि उच्च न्यायालय इसकी सुनवाई रोज 11 बजे पूर्वाह्न से पांच बजे शाम तक कर रहा था.' कसाब के वकील ने कहा, 'सरकार की ओर से जारी पत्र के अनुसार फैसला सुनाये जाने के बाद यथाशीघ्र हमें भुगतान कर दिया जाएगा.'

महाराष्ट्र विधि एवं न्याय विभाग के सचिव वीएल अचिलिया ने कहा कि वकीलों को जल्द ही फीस मिल जाएगी. अचिलिया ने कहा, 'उनके बिल जमा करने के बाद महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा विभाग दोनों को भुगतान कर देगा.'

अचिलिया के बयान से फरहाना चकित हैं. उन्होंने कहा, 'उच्च न्यायालय से नामांकन के बाद जब सरकार ने हमें नियुक्त किया तो वे कैसे हमसे बिल जमा करने के लिए कह सकते हैं.'

सोलकर ने कहा कि उन्हें अब तक सरकार से कोई सूचना या कोई पत्र नहीं मिला है जिसमें उनसे अपने पारिश्रमिक के लिए संपर्क करने को कहा. निचली अदालत में कसाब के बचाव पक्ष के वकील रहे अब्बास काजमी ने कहा कि सरकार ने उन्हें फौरन पारिश्रमिक दे दिया.

काजमी ने कहा, 'सुनवाई पूरी होने के तुरंत बाद मेरा पारिश्रमिक चुका दिया गया.' उन्होंने कहा कि सरकार को कोई बिल जमा किए बिना उन्हें उनकी फीस चुका दी गई.

Posted by राजबीर सिंह at 8:10 pm.
 

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