बढ़ते सरकारी कर्ज संकट के कारण वित्तीय बाजार में घबराहट

केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा अमेरिका तथा यूरोपीय देशों के बढ़ते सरकारी कर्ज संकट के कारण वित्तीय बाजार में घबराहट है.

उन्हेंने कहा कि महंगाई, आर्थिक विकास की सुस्त रफ्तार और अमेरिका तथा यूरोपीय देशों के बढ़ते सरकारी कर्ज संकट के कारण वित्तीय बाजार में घबराहट है.

मुखर्जी इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) के एक सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, "विकसित अर्थव्यवस्था, यूरोजोन और अमेरिकी कर्ज संकट से घिरे हुए हैं. इसके कारण वित्तीय बाजार में घबराहट पसरी हुई है."

उन्होंने कहा कि अधिकतर विकसित अर्थव्यवस्था में 2011 की दूसरी तिमाही में जहां आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त रही है, वहीं उभरती अर्थव्यवस्था को आर्थिक सुस्ती के साथ महंगाई का भी सामना करना पड़ रहा है.

मुखर्जी ने इस संकट से बाहर निकलने के लिए सभी पक्षों से सहयोग की अपील की.

उन्होंने कहा "उभरते देश मंदी से तुरंत बाहर गए, लेकिन अब उन्हें महंगाई, सुस्त विकास और विदेशी पूंजी के प्रवाह में अस्थिरता का एक साथ सामना करना पड़ रहा है."

उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक मुख्य दरों में वृद्धि करने के लिए बाध्य है, जिसके कारण छोटी अवधि में आर्थिक सुस्ती का भी सामना करना पड़ रहा है.

रिजर्व बैंक ने मार्च 2011 के बाद से 11 बार मुख्य दरों में वृद्धि की है, लेकिन महंगाई दहाई अंकों के पास बनी हुई है, जबकि रिजर्व बैंक ने महंगाई का सुविधाजनक स्तर 4-5 फीसदी तय किया है.

आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक जुलाई महीने में थोक वस्तु पर आधारित महंगाई दर 9.2 फीसदी और 27 अगस्त को समाप्त सप्ताह के लिए खाद्य महंगाई की दर 9.22 फीसद दर्ज की गई है.

Posted by राजबीर सिंह at 8:02 pm.
 

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