प्रशांत भूषण को संसद के विशेषाधिकार हनन का नोटिस
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सिविल सोसायटी के सदस्य और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को संसद के विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है. उन्हें 14 सितंबर तक इस नोटिस का जवाब देना है.
प्रशांत भूषण ने बयान दिया था कि सांसद पैसा लेते हैं और कानून पास करते हैं.
भूषण ने कहा है कि सांसदों के खिलाफ टिप्पणी करने को लेकर उन्हें जारी किया गया विशेषाधिकार हनन नोटिस शनिवार को उन्हें मिल गया.
भूषण सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की टीम के ऐसे दूसरे सदस्य हैं, जिन्हें इस तरह का नोटिस प्राप्त हुआ है. इससे पहले किरण बेदी को भी विशेषाधिकार हनन का नोटिस मिल चुका है.
भूषण ने कहा कि उन पर सांसदों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है और इस पर जवाब दाखिल करने को कहा गया है.
उन्होंने इस नोटिस को पूरी तरह से अनुचित करार देते हुए कहा, ‘‘जनहित में सच बोलना विशेषाधिकार का हनन नहीं है.’’
भूषण ने कहा, ‘‘अगर जनहित में बोलना विशेषाधिकार हनन है, तब देश के लिए वक्त आ गया है कि संसदीय विशेषाधिकार की समूची धारणा की समीक्षा की जाए.’’
वहीं, पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को सांसदों के खिलाफ टिप्पणी करने को लेकर शुक्रवार को विशेषाधिकार हनन नोटिस प्राप्त हुआ.
किरण ने ट्विटर पर बताया, ‘‘विशेषाधिकार हनन नोटिस मिल गया.’’ इसका उपयुक्त जवाब दूंगी.
उन्होंने कहा कि नेताओं के खिलाफ अपनी टिप्पणी को लेकर वह ‘माफी’ नहीं मांगेगी, बल्कि वह सांसदों के व्यवहार पर सदन को एक और बड़ा आईना दिखाने का इरादा रखती हैं.
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा था, ‘‘यदि मुझे मौका मिला तो मैं समिति के समक्ष जाउंगी और संसद को एक और बड़ा आईना दिखाउंगी.’’
उन्होंने बताया कि उन्होंने जो कुछ भी कहा था वह हालात से संबंद्ध था, जब यह कहे जाने की जरूरत थी.
उन्होंने कहा, ‘‘सच कहना होगा. मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं था क्योंकि हम नहीं जानते थे कि हमें कोई प्रस्ताव मिलेगा.’’