2-जी - राजग सरकार के कार्यकाल में भी नियमों को ‘तोड़ा’ गया

सीबीआई की 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि राजग सरकार के कार्यकाल में भी नियमों को ‘तोड़ा’ गया था.

सीबीआई ने गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी. उस समय स्वर्गीय प्रमोद महाजन तथा अरुण शौरी दूरसंचार मंत्री थे. जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह राजग सरकार में वित्त मंत्री रहे जसवंत सिंह से भी पूछताछ करेगी.

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि जांच के दौरान मई, 2004 से मई, 2007 तक दूरसंचार मंत्री रहे दयानिधि मारन द्वारा कथित रूप से एयरसेल को अपनी हिस्सेदारी मलेशिया के मैक्सिस समूह को बेचने को लेकर ‘दबाव’ डालने जैसा कोई तथ्य सामने नहीं आया है.

हालांकि सीबीआई के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि जांच में यह बात सामने आई है कि जो कंपनी एयरसेल का अधिग्रहण करने जा रही थी, वह द्रमुक सांसद मारन और उनके भाई के संपर्क में थी.

वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी तथा ए. के. गांगुली की पीठ को बताया कि राजग सरकार में वित्त मंत्री रहे जसवंत सिंह से भी पूछताछ की जाएगी.उपरोक्त अवधि के दौरान जसवंत सिंह सीमित मोबिलिटी तथा यूनिफाइड लाइसेंसिंग पर मंत्री समूह के प्रमुख थे.

जांच एजेंसी ने इस मामले में ताजा स्थिति रपट पेश करते हुए कहा कि वह 2001-07 के दौरान स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच कर रही है. उस समय महाजन, शौरी और मारन (संप्रग-एक) दूरसंचार मंत्री थे.

सीबीआई ने अदालत को बताया कि इस मामले में जांच इस माह के अंत तक पूरी हो जाएगी. जिस समय वेणुगोपाल सीलबंद रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को पढ़ रहे थे, पीठ ने उनसे पूछा कि क्या आप इन लोगों शौरी और मारन आदि से पूछताछ करेंगे.पीठ ने पूछा कि जांच के लिए अभी तक क्या और कदम उठाए गए हैं.

सीबीआई ने बताया कि स्वर्गीय महाजन के कार्यकाल के दौरान सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई) के सदस्यों की तत्कालीन दूरसंचार सचिव श्यामल घोष के साथ सेल्युलर मोबाइल सेवा के मुद्दे पर बैठक हुई थी.

महाजन 2001 से 2003 तक दूरसंचार मंत्री रहे थे. शौरी के पास जनवरी, 2003 से मई, 2004 तक यह विभाग था. मारन को इस साल जुलाई में कपड़ा मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था.

सीबीआई ने कहा था कि वह मारन के खिलाफ शिवशंकरन की शिकायत की जांच कर रही है. एयरसेल का स्वामित्व 2006 में शिवशंकरन के पास ही था. एजेंसी ने कहा कि मारन के कार्यकाल में एयरसेल के प्रवर्तक को आशय पत्र जारी करने में ‘जानबूझ कर देरी’ की गई.

जांच एजेंसी ने यह भी कहा है कि एयरसेल को मैक्सिस समूह को बेचे जाने के बाद मलेशियाई कंपनी ने मारन परिवार के कारोबार में निवेश किया था.वेणुगोपाल ने बताया कि एजेंसी शौरी के कार्यकाल में हुए यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस (यूएएसएल) के आवंटन भी जांच कर रही है.

प्रदीप बैजाल 2003 से 2006 तक भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन थे. सीबीआई ने 6 जुलाई को उच्चतम न्यायालय में मारन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने चेन्नई के एक दूरसंचार प्रवर्तक पर एयरसेल में अपनी हिस्सेदारी वर्ष-2006 में मैक्सिस को बेचने के लिए दबाव डाला था.

एजेंसी ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा था कि मारन ने शिवशंकरन पर एयरसेल में अपनी हिस्सेदारी मैक्सिस को बेचने के लिए दबाव डाला था. हालांकि मारन ने इस सभी आरोपों का खंडन किया था.

रिपोर्ट में कहा गया था कि मारन ने कथित रूप से मलेशियाई कंपनी का पक्ष लेते हुए उसे एयरसेल के अधिग्रहण के छह माह के भीतर ही लाइसेंस दे दिया था.

Posted by राजबीर सिंह at 8:16 pm.
 

dailyvid

FLICKR PHOTO STREAM

2010-2011 आवाज़ इंडिया मीडिया प्रॉडक्शन. All Rights Reserved. - Designed by Gajender Singh